हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Hindi in Hindi

Essay on Importance of Hindi in Hindi : अगर आप हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध ढूंढ रहे है तो आपका स्वागत है “Essay on Importance of Hindi in Hindi” में। इसमें हमने हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध लिखा है जो की आसान भाषा में है, आप इस निबंध को पढ़के खुद से निबंध लिख सकते है और इस निबंध को कही भी प्रयोग भी कर सकते है।

तो चलिए बिना देर किये हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध को सुरु करते है।

हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Hindi in Hindi | Class : 5th-10th

हिंदी भाषा भारत की सबसे प्राचीन भाषाओ में से एक है। यह भारत के गौरवशाली संस्कृति का एक हिस्सा है। ये भाषा भारतीय संस्कृति और परम्परा की पहचान है। हिंदी भाषा का वर्चस्व केवल भारत में हे नहीं बल्कि पुरे विश्व में है। यह निबंध हिंदी के उसी वर्चस्व और महानता को दर्शाते हुए लिखा गया है, उम्मीद है आप पसंद करेंगे। 

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हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध प्रस्तावना। 

हिंदी भारत में सबसे अधिक तथा विश्व में तिसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। 2011 की जनगणना के अनुसार, हिंदी भारत में बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा है। यह 52.83 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है, जो भारत की जनसंख्या का 43.63% है। हिंदी एक काफी मधुर भाषा और इसे सीखना भी काफी सरल है।

हिंदी हमारी मातृभाषा।

हिन्दी संविधान के अनुसार भारत की एक राजभाषा और भारत में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को ऐसा अधिकार नहीं दिया गया है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं की सूचि में भी शामिल है।

हिंदी भाषा मूल रूप से भारत के इन 9 राज्यों में बोली जाती है, जिनकी आधिकारिक भाषा हिन्दी है और हिन्दी भाषी लोगो के अधिकता है, जो है बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 

हिंदी भारत के साथ कई अन्य देश देशो में वे बोली और समझी जाती है। मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात आदि प्रमुख है, इन देशो में भी हिंदी बड़े स्तर पर बोला, लिखा  और समझा जाता है। 2019 के बात करे तो फरबरी महीने में  में अबू धाबी में न्यायालय के द्वारा हिंदी को  की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली। ये सब चीजे इस दौर में  हिंदी के प्रगति को दर्शाता है।  

हिंदी का इतिहास।

हिंदी भाषा का जन्म देववाणी संस्कृत से हुई है। संस्कृत भाषा भारत कि सबसे प्राचीनतम भाषा में से एक है। 

“संस्कृत भाषा” भारतीय संस्कृति कि एक महत्वपूर्ण धरोहर है।  भारत के संस्कृति को, ग्रंथो, काव्यों, उपनिषदो और पुरानो के रूप में देश विदेश तक पहुंचाने में संस्कृत भाषा  का बहुत बड़ा योगदान रहा है। और अब इसी कर्त्तव्य का निर्वाहन संस्कृत कि उत्तराधिकारी “हिंदी” भाषा कर रही है। 

हिंदी भाषा का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराणा मन जाता है,  हिन्‍दी भाषा व हिंदी साहित्‍य को जानने  वाले अपभ्रंश की अन्तिम अवस्‍था अवहट्ठ से ही हिन्‍दी भाषा कि सुरुवात मानते है। “चन्द्रधर शर्मा” “गुलेरी” ने अवहट्ट को ‘पुरानी हिन्दी’ भी कहा है।

हिंदी एवं हिंदी साहित्य।

हिंदी भाषा के प्रगति और फैलाव में हिंदी साहित्य कि  काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिंदी साहित्य से हिंदी भाषा को दुनिया भर में एक अलग पहचान मिली।  

हिन्दी साहित्य की शुरुवात लोकभाषा कविता के माध्यम से हुइ, इस भाषा में गद्य का निर्माण होना बहुत बाद में शुरू हुआ । हिन्दी साहित्य में मुख्य रूप से  तीन प्रकार के साहित्य मिलते  है- गद्य, पद्य और चम्पू (जो पद्य और गद्य दोनों में पाया जाए उसे चम्पू कहते है)।

हिंदी साहित्य का आरम्भ आठवीं सताब्दी के आस पास से मना जाता है, उस समय के महँ राजा सम्राट हर्ष के मृत्यु के बाद से देश में अनेक छोटे बड़े सासको का उदय हुआ जिनमे हिंदी साहित्यो के विकाश को लेके काफी प्रियतिषप्रधा थी।

हिंदी साहित्य के विकाश काल को निम्न चरणों में देखा जा सकता है।

  • आदिकाल (1400 ईस्वी पूर्व )
  • भक्तिकाल (1375 से 1700 )
  • रीतीकाल ( संवत 1700 से 1900 )
  • आधुनिक काल ( 1800 ईस्वी के पश्चात)
  • नव्योत्तर काल (1980 ईस्वी के पश्चात )

आदिकाल (1400 ईस्वी पूर्व)

हिंदी साहित्य आदिकाल को हिंदी साहित्य के जानकर 1400 ईस्वी पूर्व का बताते है इस समय हिंदी भाषा अपने बाल्य काल में थे। हिंदी भाषा की  प्रम्भारिक विकाश दिल्ली, अजमेर, कन्नौज क्षेत्रों में हुए, मन जाता है। उस समय दिल्ली में पृथ्वी राज चौहान का उस शासन था और उनके दरवार में अनेक कवी थे, चंदबरदाई नाम के रक प्रख्यात कवी वभी उनमे शामिल थे। चन्दबरदायी ने ही “पृथ्वीराजरासो” के रचना के थे। 

आदिकाल को वीरगाथा काल, काल संवत आदि नाम से वे जाना जाता है , हालाँकि आदि कल के नाम को लेके काफी विवाद है।  अलग लग कवियों ने इस काल खंड का अलग अलग नाम करन किया है। आचार्य हजारीप्रसाद द्वेदी के ऐसे “आदिकाल” कहा, महावीर प्रसाद द्वेदी ने इस काल खंड को बीजवपन काल के उपाधि दी, वही मिश्र बंधुओ ने इस काल को पूर्व प्रहारम्भ काल कहा, धीरेन्द्र वर्मा और चेन्द्रीधर गैलरी ने इस काल को अपभ्रंश काल के संज्ञा दी, अन्य और किये कवियों ने इस काल को अलग अलग नाम दिया। 

भक्तिकाल (1375 से 1700)

हिंदी काल में भक्ति काल का समय 1350 से 1700 तक मन जाता है। इस काल खंड में सबसे ज्यादा भक्ति भावनाओ वाले सहतियो का निर्माण हुआ, इस कारन से वे इस काल खंड को भक्ति काल कहा जाता है।

इस काल में में भी दो धराये प्रमुख थी, १ निर्गुणभक्ति धरा , २ सगुन भक्तिधारा, पुनः निर्गुण भक्तिधारा को आगे दो हिस्सों में बता गया “संत काव्य “

इस हिस्से के प्रमुख कवी, कबीर दास, गुरु नानक, रैदास, मूलकदास, धर्मराज आदि थे। और अगर इसके दूसरे हिस्से की बात करे तो वो सूफी काव्य का है। इसे प्रेमश्रायी साखा के नाम से वे जाना जाता है। 

मालिक मोह्हमद, मंझन, शेख नबी, कासिम साह आदि इस सखा के प्रमुख काबियो में से थे। रामाश्रयी शाखा और कृष्णश्रयी शाखा, ये दोनों सगुन भक्तिधारा के शाखा थे,   रामाश्रयी शाखा के प्रमुख कवियों के बात करे तो वो थे – नाभादास, तुलसीदास, अग्रदास, केशवदास, महाराज वश्वनाथ सिंह, रघुनाथ सिंह आदि।

वही कृष्णश्रयी शाखा के मुख्य कवियों के बात करे तो वो थे – सूरदास, नन्ददाश, रशखान, रहीम आदि प्रमुख थे। 

रीतिकाल

हिंदी साहित्य में इस काल खंड का समय संवत 1700 से 1900 तक  का था। इस काल को रीती काल इस लिए कहा गया क्यों के इस काल खंड के प्रमुख कवियों ने जादायतर श्रीनगर वर्णन, अलंकार प्रयोग, छंदबद्धताआदि के बंधे रास्तो पर कविता की।   रीती का मतलब होता है बंधी बंधाई बक्शा। 

केशव जीनका समयकाल 1546 से 1618 तक ,बिहारी सेनापति आदि इस कालखंड के प्रमुख कवियों में से एक थे। 

आधुनिक काल

आधुनिक काल  (1800 ईस्वी के पश्चात)  इस काल में गद्द तथा पद्द में अलग अलग बिचारो का उदय हुआ।  हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकाश के दृष्टिकोण से ये काल खंड  काफी महत्वपूर्ण है। आधुनिक काल साहित्य  पिछले दो सौ वर्षो में कई पहलुओं से गुजरा है। 

इस युग को काव्य में छायावादी, प्रतिवादी युग, यथार्थवादी युग, प्रियोगवादी युग  इन  चार नमो से जाना जाता है। वही इसे गद्द में भारतेन्दु युग, प्रेमचंद्र युग, द्विदु युग और अनन्य कई नमो से जाना जाता है। 

नव्योत्तर काल

यह काल हिंदी काव्यों हिंदी साहित्य का न्यूनतम काल खंड है।  इस काल के कई धारा है पश्चिम के नक़ल चोर अपनी वाणी पाना, अतिशय अलंकार से परे सरलता पाना आदि। यह काल खांड आदुनिक समय के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। इस काल खंड के समय अबधी 1980 के पशियत से है। 

हिंदी भाषा के विकाश में हिंदी साहित्य का अहम् भूमिका है , अलग अलग कवियों ने अपने अपने समय में अपने अपने काव्यों और कबिताओ को हिंदी में लिख क्र हिंदी का काफी प्रचार किया। 

प्रारम्भ में अनेको कवियों ने अपने छेत्रियों भाषा के साथ साथ हिंदी में में लिखना सुरु किया ताकि वो देश के भिन्न भिन्न सिहहो के लोग तक अपनी रचना पंहुचा सके। 

भारत और हिंदी

 भारत में हिंदी भाषा का काफी महत्व है, विदेशो में भारत को हिंदी भाषी देश के रूप में पहचान मिली हुइ है।  भारत के ज्यादातर लोग हिंदी भाषी है, वो हिंदी भाषा बोलना काफी पसंद करते है। हिंदी भारत में सबसे आदिक बोली जाने वाली भाषा है।  विश्व में ये तीशरे अस्थान पर आती है। भारत में कई रज्जो में हिंदी मुख्य रूप से बोली जाती है। 

इस भाषा ने पूरी दुनिया भर में भारत को अलग पहचान दिलाया है या ये कहे के ये भाषा हे भारत के पहचान है। सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक, वाव्याशिक एवं अन्य कई दृष्टिकोण से भारत के लिए बहुत  महत्वपूर्ण है 

उपसंहार (हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध)

“हिंदी भाषा” भारतीय संस्कृती की एक महत्वपूर्ण धरोहर में से है।  बिना हिंदी  के भारत के गौरवशाली संस्कृति कि कल्पना करना संभव नहीं है, हिंदी भाषा ने हमें अनेको महँ कवी एवं कई महान काव्य दिया है, जो विश्व भर में भारत को एक अलग पहचान दिलाने में मदत किया है लकिन आज के दौर में हिंदी के अलावा लोग इंग्लिश जैसे बिदेशी भाषाओ को सीखना ज्यादा पसंद करते है, हमें अपने भाषा का सम्मान करना चाहिये और उसे सीखना चाहिये  एवं उसका प्रचार करण करना चाहिये।  हमें अपने इस महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विराशत को इस भाषा रूपी धरोहर को बचाने पे ध्यान  देना चाहिये। 

हमें उम्मीद है की आपको हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध (Essay on Importance of Hindi in Hindi) पसंद आया होगा। क्योकि हमने हिंदी भाषा से जुड़ी काफी जानकारी को इस निबंध में साझा किया है। अगर आपके मन में कोई सवाल है “भाषा के महत्व पर निबंध (Essay on Importance of Hindi in Hindi)” से जुड़ी हुई तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है।

धन्यबाद !

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